106.66.233.2 - आईपी क्वेरी: मुफ्त आईपी एड्रेस क्वेरी, पोस्टल कोड क्वेरी, आईपी लोकेशन क्वेरी, आईपी एएसएन, सार्वजनिक आईपी
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इस आईपी पते के निकट लोकप्रिय स्थान और घटनाएँ
नांदेड़
दूरी: लगभग 0 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 19.15,77.3
नांदेड़ (Nanded) भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित एक नगर है। यह नांदेड़ ज़िले का मुख्यालय है और महाराष्ट्र का आठवाँ सबसे बड़ा शहर है। नांदेड़ दक्कन के पठार में गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है।
हजूर साहिब
दूरी: लगभग 1981 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 19.15277778,77.31861111
हजूर साहिब, सिखों के ५ तखतों में से एक है। यह नान्देड नगर में गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। इसमें स्थित गुरुद्वारा 'सच खण्ड' कहलाता है। गुरुद्वारा का निर्माण 1832 और 1837 के बीच सिकंदर जाह, मीर अकबर अली खान सिकंदर जाह, आसिफ़ जाह तृतीय ने अपने मित्र महाराजा रणजीत सिंह (के अनुरोध पर किया था) गोदावरी नदी के किनारे बसा शहर नांदेड़ हजूर साहिब सचखंड गुरूद्वारे के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं और मत्था टेककर स्वयं को धन्य समझते हैं। यहीं पर सन् 1708 में सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने प्रिय घोड़े दिलबाग के साथ अंतिम सांस ली थी। सन् 1708 से पहले गुरु गोविंद सिंह जी ने धर्म प्रचार के लिए कुछ वर्षों के लिए यहाँ अपने कुछ अनुयायियों के साथ अपना पड़ाव डाला था। यहीं पर कुछ धार्मिक तथा राजनैतिक कारणों से सरहिंद के नवाब वजीर शाह ने अपने दो आदमी भेजकर उनकी हत्या करवा दी थी। अपनी मृत्यु को समीप देखकर गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में किसी अन्य को गुरु चुनने के बजाय सभी सिखों को आदेश दिया कि मेरे बाद आप सभी पवित्र ग्रन्थ को ही गुरु मानें और तभी से पवित्र ग्रन्थ को गुरु ग्रन्थ साहिब कहा जाता है। गुरु गोविंद सिंह जी के ही शब्दों में: आज्ञा भई अकाल की तभी चलायो पंथ, सब सीखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रन्थ।। परिसर में स्थित गुरूद्वारे को सचखंड (सत्य का क्षेत्र) नाम से जाना जाता है, यह गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी जहां ज्योति जोत समाये थे उसी स्थान पर ही बनाया गया है। गुरुद्वारे का आतंरिक कक्ष अंगीठा साहिब कहलाता है, यह ठीक उसी स्थान पर बनाया गया है जहां गुरु गोविंद सिंह जी का दाह संस्कार किया गया था। तख़्त के गर्भ गृह में गुरुद्वारा पटना साहिब की तर्ज़ पर श्री गुरु ग्रन्थ साहिब तथा श्री दश्म ग्रन्थ दोनों स्थापित हैं। गुरुद्वारे का निर्माण पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह जी के द्वारा करवाया गया था। गुरु गोविंद सिंह जी की यह अभिलाषा थी कि उनके निर्वाण के बाद भी उनके सहयोगियों में से एक श्री संतोख सिंह जी (जो कि उस समय उनके सामुदायिक रसोईघर की देख-रेख करते थे), नांदेड़ में ही रहें तथा गुरु का लंगर (भोजन) को निरंतर चलाये तथा बंद न होने दें। गुरु की इच्छा के अनुसार भाई संतोख सिंह जी के अलावा अन्य अनुयायी चाहें तो वापस पंजाब जा सकते हैं लेकिन अपने गुरु के प्रेम से आसक्त उन अनुयायियों ने भी वापस नांदेड़ आकर यहीं रहने का निर्णय लिया। गुरु की इच्छा के अनुसार यहां सालभर लंगर चलता है। दक्षिण की गंगा कही जानेवाली पावन गोदावरी नदी के किनारे बसा शहर नांदेड़, महाराष्ट्र राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र का औरंगाबाद के बाद सबसे बड़ा शहर है, तथा हजूर साहिब सचखंड गुरूद्वारे के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है. यहीं पर सन् 1708 में सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने प्रिय घोड़े दिलबाग के साथ अंतिम सांस ली थी. सन् 1708 से पहले गुरु गोविन्द सिंह जी ने धर्म प्रचार के लिए कुछ वर्षों के लिए यहाँ अपने कुछ अनुयायियों के साथ अपना पड़ाव डाला था लेकिन यहीं पर कुछ धार्मिक तथा राजनैतिक कारणों से सरहिंद के नवाब वजीर शाह ने अपने दो आदमी भेजकर उनकी हत्या करवा दी थी.
नांदेड़-वाघाला
दूरी: लगभग 3472 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 19.149,77.333
नांदेड़-वाघाला (Nanded-Waghala) भारत के महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ ज़िले में स्थित एक शहर है।
वाजेगाँव
दूरी: लगभग 5172 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 19.146,77.349
वाजेगाँव (Wajegaon) भारत के महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ ज़िले में स्थित एक नगर है।
उस क्षेत्र में मौसम जहां यह आईपी स्थित है
साफ आकाश
23 डिग्री सेल्सियस
22 डिग्री सेल्सियस
23 डिग्री सेल्सियस
23 डिग्री सेल्सियस
1014 hPa
26 %
1014 hPa
970 hPa
10000 मीटर की दूरी पर
3.28 मीटर/सेकंड
5.61 मीटर/सेकंड
340 डिग्री