103.168.217.11 - आईपी क्वेरी: मुफ्त आईपी एड्रेस क्वेरी, पोस्टल कोड क्वेरी, आईपी लोकेशन क्वेरी, आईपी एएसएन, सार्वजनिक आईपी
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इस आईपी पते के निकट लोकप्रिय स्थान और घटनाएँ
जयपुर
राजस्थान की राजधानी
दूरी: लगभग 2499 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.9,75.8
जयपुर शहर भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान की राजधानी है। जयपुर राजस्थान का सबसे बड़ा शहर है। जयपुर को पिंक सिटी अथवा गुलाबी नगरी भी कहते है, इसको सबसे पहले स्टैनली रीड ने पिंक सिटी बोला था । जयपुर की स्थापना आमेर के राजा सवाई जयसिंह (द्वितीय) ने की थी। यूनेस्को द्वारा जुलाई 2019 में जयपुर को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा दिया गया हैजयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन ब्रिटिश जमींदार सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। जयसिंह द्वितीय के नाम पर ही इस शहर का नाम जयपुर पड़ा। जयपुर भारत के टूरिस्ट सर्किट गोल्डन ट्रायंगल (India's Golden Triangle) का हिस्सा भी है। इस गोल्डन ट्रायंगल में दिल्ली, आगरा और जयपुर आते हैं भारत के मानचित्र में उनकी स्थिति अर्थात लोकेशन को देखने पर यह एक त्रिभुज (Triangle) का आकार लेते हैं। इस कारण इन्हें भारत का स्वर्णिम त्रिभुज इंडियन गोल्डन ट्रायंगल कहते हैं। संघीय राजधानी दिल्ली से जयपुर की दूरी 280 किलोमीटर है। शहर चारों ओर से दीवारों और परकोटों से घिरा हुआ है, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे हैं। बाद में एक और द्वार भी बना जो 'न्यू गेट' कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह 111 फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शहर के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गईं वैधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी हैं। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। देश के सबसे प्रतिभाशाली वास्तुकारों में इस शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य का नाम सम्मान से लिया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत जमींदारो का नियंत्रण था। जयपुर का सामंत/ जमींदार परिवार जिन्हें जयपुर रजवाड़ा कहा जाता है, हमेशा ही विदेशी मुगलों और अंग्रेजों के प्रति वफादार रहा था। 19वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या 1,80,000 थी जो अब बढ़ कर 2001 के आंकड़ों के अनुसार 13,7,119 और 2012 के बाद 20 लाख हो चुकी है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्त-कला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन-उद्योग आदि शामिल हैं। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहा जाता है कि शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। इस प्रकार के धरोहर होना हमारे भारत देश के लिए एक गर्व की बात है ।भारत सरकार को ऐसे धरोहरों को साज सजावट का पूरा ख्याल रखना चाहिए,जयपुर, जिसे 'गुलाबी शहर' के नाम से भी जाना जाता है, न केवल अपनी ऐतिहासिक धरोहर और समृद्ध संस्कृति के लिए मशहूर है, बल्कि एक तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की अर्थव्यवस्था विविधतापूर्ण और बहुआयामी है, जिससे यह शहर राजस्थान का एक प्रमुख आर्थिक केंद्र बन गया है। पर्यटन उद्योग: जयपुर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है। यहाँ के ऐतिहासिक किले, महल, और संग्रहालय देश-विदेश से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। आमेर किला, हवामहल, सिटी पैलेस और जंतर-मंतर जैसे स्थलों की अद्वितीयता और उनकी स्थापत्य कला ने जयपुर को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया है। हस्तशिल्प और कला: जयपुर की पहचान उसकी हस्तशिल्प उद्योग से भी जुड़ी है। यहाँ की लाख की चूड़ियाँ, नीला पॉटरी, ब्लॉक प्रिंटिंग और ज्वेलरी कारीगरी विश्व प्रसिद्ध हैं। इस उद्योग ने न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान किया है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। आईटी और तकनीकी क्षेत्र: हाल के वर्षों में, जयपुर ने आईटी और तकनीकी क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है। जयपुर में आईटी पार्क और स्टार्टअप्स की संख्या में वृद्धि ने इसे एक महत्वपूर्ण तकनीकी हब के रूप में उभारा है। यहाँ के युवा उद्यमियों और तकनीकी विशेषज्ञों ने नवाचार और उद्यमशीलता को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। वस्त्र और कपड़ा उद्योग: जयपुर का वस्त्र और कपड़ा उद्योग भी यहाँ की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ के बंधेज, ब्लॉक प्रिंटिंग और कढ़ाई के काम ने न केवल राष्ट्रीय, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी धूम मचाई है। वस्त्र उद्योग ने यहाँ की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान किया है। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र: जयपुर में शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। यहाँ के उच्च शिक्षण संस्थान और मेडिकल कॉलेज देशभर के विद्यार्थियों और चिकित्सा विशेषज्ञों को आकर्षित करते हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और अस्पतालों की संख्या में वृद्धि ने जयपुर को एक प्रमुख चिकित्सा केंद्र के रूप में विकसित किया है,जयपुर, जिसे गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है, अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक वैभव के लिए मशहूर है। लेकिन, जयपुर की प्रसिद्धि केवल इसके किलों और महलों तक ही सीमित नहीं है; यह शहर अपनी मजबूत और बहुपक्षीय अर्थव्यवस्था के लिए भी जाना जाता है। जयपुर की अर्थव्यवस्था में परंपरागत उद्योगों के साथ-साथ आधुनिक व्यवसाय भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। 1. पर्यटन उद्योग: शहर की रीढ़ जयपुर का पर्यटन उद्योग इसकी अर्थव्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण धुरी है। ऐतिहासिक किले जैसे आमेर किला, जयगढ़ किला, नाहरगढ़ किला और सिटी पैलेस पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, जंतर-मंतर और हवामहल जैसे प्रतिष्ठित स्थल जयपुर को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं। हेरिटेज होटलों, गाइड सेवाओं और पर्यटक व्यापारियों के रूप में हजारों लोगों को रोजगार मिलता है। प्रतिवर्ष लाखों घरेलू और विदेशी पर्यटकों के आगमन से होटल और रेस्टोरेंट्स, हैंडीक्राफ्ट्स और गाइड सेवाओं में बड़ा राजस्व अर्जित होता है। 2. हस्तशिल्प और रत्न-आभूषण उद्योग जयपुर का नाम हाथ से बनाई गई कला और आभूषण निर्माण के लिए विशेष रूप से लिया जाता है। ब्लू पॉटरी, लहरिया साड़ी, जूतियां, और बंदhej कपड़े यहाँ के कारीगरों के हुनर का प्रतीक हैं। जयपुर का जेम्स और जूलरी उद्योग भी विश्व प्रसिद्ध है, जहाँ लाखों कारीगर उच्च गुणवत्ता के आभूषण बनाते हैं। 3.
जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन
भारत के राजस्थान राज्य में एक रेलवे स्टेशन
दूरी: लगभग 3021 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.9208,75.7866
जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन (कूट: JP) जयपुर का प्रधान रेलवे स्टेशन है। यह २००२ से उत्तर पश्चिम रेलवे का मुख्यालय भी है। इस रेलवे का जयपुर मण्डल का कार्यालय भी जयपुर में ही है। जयपुर के उपनगरीय स्टेशनों में गांधीनगर जयपुर, गेटोर जगतपुरा, खातीपुरा, बाइस गोदाम, दुर्गापुरा, सांगानेर, कनकपुरा, बिंदायका, ढेहर का बालाजी और नींदड बैनाड शामिल है।
जयपुर/आलेख
दूरी: लगभग 1227 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.926,75.8235
देखें:पूर्ण लेख → जयपुर जयपुर उच्चारण सहायता·सूचना जिसे गुलाबी नगरी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में राजस्थान राज्य की राजधानी है। महान् वास्तुविद विद्याधर चक्रवर्ती द्वारा आकल्पित इस शहर की स्थापना १७२८ में आमेर के महाराजा जयसिंह द्वितीय द्वारा की गयी थी। यहां के अंतिम महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह थे। जयपुर अपनी समृद्ध परंपरा, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। जयपुर शहर की पहचान यहाँ के महलों और पुराने घरों में लगे गुलाबी धौलपुरी पत्थरों से होती है जो यहाँ के स्थापत्य की खूबी है। १८७६ में तत्कालीन महाराज सवाई रामसिंह ने इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से आच्छादित करवा दिया था। तभी से शहर का नाम गुलाबी नगरी पड़ा है। जयपुर को भारत का पेरिस भी कहा जाता है। इस शहर के वास्तु के बारे में कहते हैं, शहर को सूत से नाप लीजिये, नाप-जोख में एक बाल के बराबर भी फ़र्क नहीं मिलेगा। पुराना शहर चारों ओर से परकोटे से घिरा हुआ था, जिसमें प्रवेश के लिए सात दरवाजे बनवाये गए थे। बाद में एक और द्वार भी बना जो न्यू गेट कहलाया। पूरा शहर करीब छह भागों में बँटा है और यह १११ फुट (३४ मी.) चौड़ी सड़कों से विभाजित है। पाँच भाग मध्य प्रासाद भाग को पूर्वी, दक्षिणी एवं पश्चिमी ओर से घेरे हुए हैं और छठा भाग एकदम पूर्व में स्थित है। प्रासाद भाग में हवा महल परिसर, व्यवस्थित उद्यान एवं एक छोटी झील हैं। पुराने शहर के उत्तर-पश्चिमी ओर पहाड़ी पर नाहरगढ़ दुर्ग शहर के मुकुट के समान दिखता है। इसके अलावा यहां मध्य भाग में ही सवाई जयसिंह द्वारा बनावायी गई वेधशाला, जंतर मंतर, जयपुर भी है। जयपुर को आधुनिक शहरी योजनाकारों द्वारा सबसे नियोजित और व्यवस्थित शहरों में से गिना जाता है। शहर के दीवान (प्राइम मिनिस्टर) मिर्जा इस्माइल की पहल पर शहर का विस्तार न्यू कॉलोनी, एम आई रोड, सी-स्कीम और डी-स्कीम (बनीपार्क) जैसी आवासीय और व्यावसायिक कॉलोनियों के रूप में हुआ था। ब्रिटिश शासन के दौरान इस पर कछवाहा समुदाय के राजपूत शासकों का शासन था। १९वीं सदी में इस शहर का विस्तार शुरु हुआ तब इसकी जनसंख्या १,६०,००० थी जो अब बढ़ कर २००१ के आंकड़ों के अनुसार २३,३४,३१९ हो चुकी थी। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार इसकी आबादी अब 3,355,070 है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में धातु, संगमरमर, वस्त्र-छपाई, हस्तकला, रत्न व आभूषण का आयात-निर्यात तथा पर्यटन आदि शामिल हैं। शहर में बहुत से पर्यटन आकर्षण भी हैं, जैसे जंतर मंतर, जयपुर, हवा महल, सिटी पैलेस, गोविंद देवजी का मंदिर, बी एम बिड़ला तारामण्डल, आमेर का किला, जयगढ़ दुर्ग आदि। जयपुर के रौनक भरे बाजारों में दुकाने रंग बिरंगे सामानों से भरी है, जिसमें हथकरघा उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, वस्त्र, मीनाकारी सामान, आभूषण, राजस्थानी चित्र आदि शामिल हैं। इसके अलावा ये संगमरमर की प्रतिमाओं, ब्लू-पॉटरी औऱ राजस्थानी जूतियों के लिये भी प्रसिद्ध हैं। प्रसिद्ध बाजारों में जौहरी बाजार, किशनपोल बाज़ार, इंदिरा बाजार, नेहरू बाजार, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार, सिरेड्यौढ़ी बाज़ार, रामगंज, चांदपोल बाज़ार और एम.आई.
नाहरगढ़ दुर्ग
राजपूत राजाओं द्वारा बनाया गया किला
दूरी: लगभग 2471 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.939,75.817
नाहरगढ़ का किला जयपुर को घेरे हुए अरावली पर्वतमाला के ऊपर बना हुआ है। आरावली की पर्वत श्रृंखला के छोर पर आमेर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस किले को सवाई राजा जयसिंह द्वितीय ने सन १७३४ में बनवाया था। यहाँ एक किंवदंती है कि कोई एक नाहर सिंह नामके राजपूत की प्रेतात्मा वहां भटका करती थी। किले के निर्माण में व्यावधान भी उपस्थित किया करती थी। अतः तांत्रिकों से सलाह ली गयी और उस किले को उस प्रेतात्मा के नाम पर नाहरगढ़ रखने से प्रेतबाधा दूर हो गयी थी।
जल महल
राजपूत कालीन महल
दूरी: लगभग 5050 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.9537,75.8463
जलमहल राजस्थान की राजधानी जयपुर के मानसागर झील के मध्य स्थित प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। अरावली पहाडिय़ों के गर्भ में स्थित यह महल झील के बीचों बीच होने के कारण 'आई बॉल' भी कहा जाता है। इसे 'रोमांटिक महल' के नाम से भी जाना जाता था।
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
दूरी: लगभग 624 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.91179,75.81953
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (अंग्रेजी :Albert Hall Museum) भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर ज़िले में स्थित एक संग्रहालय है। यह राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। यह संग्रहालय "राम निवास उद्यान" के बाहरी ओर सीटी वॉल के नये द्वार के सामने है। यह "भारत-अरबी शैली" में बनाई गयी एक बिल्डिंग है। इसकी डिजाइन सैमुअल स्विंटन जैकब ने की थी तथा यह पब्लिक संग्रहालय के रूप में 1887 में खुला था।
विश्वविद्यालय वाणिज्य महाविद्यालय
दूरी: लगभग 4449 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.877092,75.8115934
विश्वविद्यालय वाणिज्य महाविद्यालय भारत के राजस्थान राज्य में जयपुर शहर में एक कॉलेज है। यह राजस्थान विश्वविद्यालय के पांच घटक कॉलेजों में से एक है। कॉलेज वाणिज्य में स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान करता है। यह जवाहर लाल नेहरू रोड पर स्थित है। कॉलेज को यूनिवर्सिटी कॉमर्स कॉलेज भी कहा जाता है। महाराणा प्रताप छात्रावास इस महाविद्यालय से जुड़ा हुआ छात्रावास है।
राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान
दूरी: लगभग 484 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.92,75.82
समर्थन
हिरनोदा
दूरी: लगभग 2961 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.9124235,75.7872809
हिरनोदा एक गॉंव है , जो भारत में राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में फुलेरा तहसील में स्थित है | https://www.hirnoda.com/about-hirnoda-village/
सवाई मान सिंह चिकित्सा विश्वविद्यालय
दूरी: लगभग 1250 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.90578611,75.81914444
सवाई मान सिंह चिकित्सा विश्वविद्यालय, जिसे एसएमएस मेडिकल कॉलेज भी कहा जाता है, जयपुर, राजस्थान में स्थित एक सरकारी चिकित्सा विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना १९४७ में हुई थी तथा यह भारत में चिकित्सीय शिक्षा का १५वां केन्द्र था।
जयपुर चिड़ियाघर
दूरी: लगभग 692 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.9122356,75.8214355
जयपुर चिड़ियाघर भारत में राजस्थान राज्य के जयपुर शहर में स्थित है। इस चिड़ियाघर को 1876 में सवाई रामसिंह द्वितीय खोला गया था और यह अल्बर्ट हॉल संग्रहालय और राम निवास गार्डन के पास स्थित है। इसे दो भागों में बांटा गया है: एक स्तनधारियों के लिए और दूसरा पक्षियों और सरीसृपों के लिए। दुनिया भर के विभिन्न पक्षियों और जानवरों की लगभग 50 प्रजातियां यहां देखी जा सकती हैं।
ताड़केश्वर नाथ मंदिर
दूरी: लगभग 902 मीटर
अक्षांश और देशांतर: 26.922964,75.822593
ताड़केश्वर नाथ मंदिर जो भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित एक भगवान शिव का लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर जयपुर के चौरा रास्ता क्षेत्र में एक हरी भरी पहाड़ी पर स्थित है।
उस क्षेत्र में मौसम जहां यह आईपी स्थित है
कुहरा
24 डिग्री सेल्सियस
24 डिग्री सेल्सियस
24 डिग्री सेल्सियस
24 डिग्री सेल्सियस
1013 hPa
57 %
1013 hPa
965 hPa
2500 मीटर की दूरी पर
2.06 मीटर/सेकंड
320 डिग्री
40 %